Saturday, January 28, 2017

ये पॉलिटिक्स

स्वार्थ जब खुद का 
पूरा ना कर पाएं,
तो दुनिया को स्वार्थी कहते हैं।

करने की होती है जब खुद की बारी,
हाथों से दोनों,
जेब अपनी भरते हैं।

संसद में कर 
बेकार की बहस,
ध्यान जनता का हरते हैं।

शिकायतों के अम्बार
सड़क पर लगाते,
खुद जिम्मेदारी से बचते हैं।

अच्छे दिन देख आते
किसी दूसरे के कारण,
अब अच्छे दिन से भी जलते हैं।

अच्छी बातों का जिक्र तक नहीं,
गलतियों को तो,
खूब हाइलाइट करते हैं।

विकास की सोच नहीं,
बस सरकार गिराने के
षडयंत्र करते रहते हैं।

आप के पीछे,
है किसका हाथ,
ये अब सब समझते हैं।

लोग भूल ना जाएँ उनको,
इसी फ़िक्र में जाने
क्या क्या जतन करते हैं।

इंकलाब जिंदाबाद कह के
सिर्फ भगतसिंह नहीं, कोई
कनैहया तो कोई केजरीवाल भी बनते हैं।

ये कहानी तुम्हारे और मेरे 
घर की ही नहीं, पूरे देश में,
ऐसे ही हालात दिखते हैं।

- विजय वडनेरे

Monday, May 24, 2010

प्लस? या मायनस?

अगर आपके पास कोई ऐसा अडाप्टर है जो एसी कर्रेंट को डीसी कर्रेंट (१.५ वोल्ट - १२ वोल्ट) में कन्वर्ट करता है, किन्तु उसके (दोनों) आउटपुट टर्मिनल्स पर कोई मार्किंग नहीं है जिससे कि यह पता चले कि कौन सा प्लस और कौन सा मायनस है, तो यह जानने का एक बहुत सरल तरीका है|

एक कांच के ग्लास में पानी भर लीजिये, और उसमे एक चम्मच नमक मिला लीजिये| अब इस ग्लास में अडाप्टर से निकले हुए दोनों टर्मिनल्स डुबा दीजिये| ध्यान रहे कि दोनों टर्मिनल्स के सिरे खुरचे हुएहों| और हाँ, दोनों टर्मिनल्स आपस में जुड़े हुए ना हों|

अब पॉवर ऑन कीजिये|

आप देखेंगे कि दोनों में से एक टर्मिनल में से बारीक बारीक बुलबुले से निकलने लगे हैं| बस| यही है आपका मायनस वाला टर्मिनल|

है ना सरल तरीका? एक पेन्सिल सेल से आप इसका प्रयोग कर के देख सकते हैं|

अब यह बुलबुले क्यों निकलते हैं, इसका जवाब तो कोई जानकार ही देगा|
आपको पता है क्या? तो बताइये ना...

Monday, February 01, 2010

किस बात का डर?

मैं फिलहाल लन्दन में हूँ, और आज अपने होटल के कमरे में टीवी देख रहा था
चैनल बदलते बदलते एक चैनल पर रुका (DM Digital), यहाँ अकसर पाकिस्तानी कार्यक्रम आते हैं
देखा तो एक कार्यक्रम का प्रसारण हो रहा था शायद (लन्दन में ही) कहीं तो कोई मस्जिद बनने वाली है और उसके लिए चंदा कलेक्शन का काम हो रहा था

जैसा कि कोई भी अन्य कार्यक्रम होता है वैसा ही चल रहा था कुछ आयतें लिखी हुई तस्वीरों की बोली लग रही थी और लोग खरीद रहे थे और फिर आखिर में एक बन्दा बनने वाली मस्जिद के बारे में बताने लगा वह भी ठीक था, पर उन्होंने २ बातें कहीं जिन्होंने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया उनके शब्दों में:

१ हमें दिल खोल कर पैसा देना चाहिए ताकि हम पुरे UK में मस्जिदों का जाल बिछा दें
२ ताकि हमारे बच्चों को, बुजुर्गों को, कौम को कोई डर ना रहे

क्या कोई इस बात पर रौशनी डाल सकता है कि लोगों को किस बात का डर है? और जाल बिछा कर क्या मिलने वाला है?

Tuesday, December 15, 2009

इस देश का प्रधानमंत्री कोई मुस्लिम भी हो सकता है...

...राहुल बाबा, क्यों ना यह प्रथा अपने ही घर से शुरु करो?
और अब देखते हैं कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कोई मुस्लिम बनता है या नहीं?

वैसे इतने सालों में आप लोग (कांग्रेस) अपनी ही पार्टी में एक भी सक्षम मुसलमान नहीं ढुँढ पाये जिसे आप कांग्रेस का अध्यक्ष बना सकें??

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मैं किसी की (मुस्लिम भाईयों की) सक्षमता पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा रहा, अपितु, एक बयान को एक अलग नजरिये से देखने की कोशिश कर रहा हूँ।

और कांग्रेस के तमाम मुस्लिम कार्यकर्ताओं से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि वे 'राहुल बाबा' से यह प्रश्न जरुर जरुर पुछें।

Thursday, November 19, 2009

आईये जाने गॉल्फ़ को - ४

अब तक आपने गॉल्फ़ के मैदान के बारे में जाना, गेंद के बारे में जाना और गॉल्फ़ क्लब्स के बारे में भी जाना। अब जानते कुछ और महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

एक खिलाड़ी को गॉल्फ़ खेलते समय कुछ और चीजों की जरुरत पड़ती है। उनमें पहला स्थान है पहनावे का।

एक पुरुष गॉल्फ़र को आधिकारिक रुप से कॉलर वाली टी-शर्ट या बॉटल नेक टी-शर्ट, हॉफ़ या फ़ुल बाँह वाली (स्लीवलेस नहीं), फ़ॉर्मल पैंट या ३/४th (कॉटन इत्यादी) (जींस नहीं) और गॉल्फ़ शूज़ पहनना होता है।

वहीं महिला गॉल्फ़र के लिये कॉलर वाली टी-शर्ट या बॉटल नेक टी-शर्ट, फ़ॉर्मल पैंट या स्कर्ट, गॉल्फ़ शूज़ मान्य है।

हाँ, दोनो के लिये टी-शर्ट, पैंट (या स्कर्ट) में खुसी हुई (IN) की होना चाहिये। इनके अलावा हैट, कैप या वाईसर और धूप के चश्में हो सकते हैं।

अक्सर खिलाड़ी एक हाथ में दस्ताना (golf glove) भी पहनता है| दांये हाथ का खिलाड़ी बांये हाथ में और बांये हाथ वाला खिलाड़ी दांये हाथ में। यह दस्ताना खिलाड़ी को क्लब पकड़ने से हाथ में होने वाले छालों से बचाता है।

टाईगर वुड्स

यह तो हुआ पहनावा। देखते हैं कि गॉल्फ़ किट में क्लब्स के अलावा और क्या-क्या हो सकता है।

पानी की बोतल, एक अच्छी सी छतरी (भई धूप या बारिश से बचने के लिये), कड़ी धूप से बचने के लिये सनस्क्रिन क्रिम, मच्छरों/घास के कीड़ों से बचने हेतु कोई क्रिम (अब कछुआ छाप अगरबत्ती ले कर फ़िरने से तो रहे), एक स्कोरकार्ड - अपना स्कोर दर्ज करने के लिये, एक अदद पेन/पेंसिल (अब स्कोर कैसे दर्ज करोगे), एक डायरी - उस गॉल्फ़कोर्स के बारे में कुछ जानकारी, जैसे बंकर, वृक्षों , पानी इत्यादी की स्थिति।

इनके अलावा कुछ अतिरिक्त गेंदें, अरे भई, अगर गेंद पानी के डबके में गई तो उसमें कुद के निकालोगे क्या?

दो और छोटी (परंतु महत्वपूर्ण) वस्तुएं, जो खिलाड़ी की जेब में होती हैं -
पिच रिपेयरर: आपके शॉट मारने से अगर फ़ेअरवे या ग्रीन का कुछ हिस्सा खराब होता है तो आपका फ़र्ज बनता है कि उसे थोड़ा सा ठीक कर दें, जिससे आपके पीछे आने वाले खिलाडियों को उससे असुविधा ना हो। पिच रिपेयर से आप घास/मिट्टी को थोड़ा दबा/उठा सकते हैं। एक छोटी (बहुत छोटी) खुरपी जैसा होता है, जो आसानी से जेब मे समाजाने जितना ही बड़ा होता है।

बॉल मार्कर: जब आपकी गेंद 'ग्रीन' पर पहुँच जाती है तो आप उसे उठा कर साफ़ कर फ़िर से वहीं रख सकते हैं। आप अपनी गेंद उठाने के पहले बॉल मार्कर रखते हैं जिससे आपकी गेंद वापस रखते समय ठीक उसी जगह रखी जा सके। यह एक सिक्के जैसा होता है।

पिच रिपेयर और मार्कर

एक ऑप्शनल वस्तु:
गॉल्फ़ ट्राली: गॉल्फ़ किट को इस ट्राली पर रख कर खींचते हुये ले जाया जा सकता है।

इन सबके अलावा जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति, जो कि हर खिलाड़ी के साथ होता है, वह है कैडी।

कैडी: आपने अक्सर देखा होगा कि गॉल्फ़ खेलते समय प्रत्येक खिलाड़ी के साथ-साथ एक आदमी चलता है जो कि उस खिलाड़ी की गॉल्फ़किट उठा कर चलता है। उसे ही कैडी कहते हैं। प्रत्येक शॉट के पहले वह किट में से खिलाड़ी को सही क्लब निकाल कर देता है, और शॉट के बाद क्लब को साफ़ कर के वापस किट में रखता है। यह कैडी न सिर्फ़ उसके खिलाड़ी की किट उठाता है, बल्कि उसे गॉल्फ़कोर्स के बारे में सलाह भी देता है (जब जरुरत हो)। अक्सर यह कैडी उसी गॉल्फ़कोर्स का ही कर्मचारी होता है। जिसे कोर्स के बारे में बहुत जानकारी होती है, जिसे वह उसके खिलाड़ी के साथ टुर्नामेंट के समय बाँटता है। स्तरिय टुर्नामेंट्स में खेल शुरु होने के बाद खिलाडी अपने कैडी के अलावा किसी और से बात नहीं कर सकता है। अधिकतर जाने माने खिलाड़ी हर जगह अपने तय कैडी को ही ले जाना पसंद करते हैं। जैसे नंबर एक खिलाड़ी टाईगर वुड्स के कैडी हैं स्टीव विलियम्स, जो कि हमेशा उनके साथ हर प्रतियोगिता में रहते हैं।

कैडी बनना भी आसान काम नहीं है। आपको गॉल्फ़ के बारे में बहुत जानकारी होना चाहिये। गॉल्फ़ कोर्स को 'पढते' आना चाहिये, हवा, तापमान इत्यादि बहुत सी बातों का ज्ञान होना चाहिये। और सही समय पर अपने खिलाड़ी को सही सलाह देते आना चाहिये।

साथ ही यह भी जान लें कि कैडी बनना दोयम दर्जे का काम नहीं है। इसमें भी काफ़ी कमाई होती है। हर प्रतियोगिता की फ़ीस के साथ ही साथ अगर उनका खिलाड़ी जितता है तो पुरुस्कार राशी का कुछेक प्रतिशत (५%-१०%) भी कैडी के खाते में जाता है। तो आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि स्टीव विलियम्स साल में कितना कमाते होंगे। इंटर्नेट की माने तो सन २००५ में स्टीव ने $697558 सिर्फ़ टाईगर का कैडी बनकर ही कमाया था। और २००८ में (शायद) यह आंकड़ा बढ कर $4900000 हो गया था।

टाईगर और स्टीव

शायद यही कारण हो कि कई प्रोफ़ेश्नल गॉल्फ़र्स, गॉल्फ़ छोड़ कर कैडी बनने का फ़ैसला लेते हैं और(यकिन करना मुश्किल है, परंतु) वे अपने गॉल्फ़ कैरियर से अधिक कमा लेते हैं।

इन सबके अलावा एक गोल्फ़ कोर्स में एक चीज और जो देखी जाती है वह है गॉल्फ़ कार्ट/बग्गी।
यह एक बैटरी से चलने वाली छोटी सी गाड़ी होती है जो खिलाडियों, उनकी किट और कैडी को उस कोर्स में एक जगह से दूसरी जगह पहुचाने के काम आती है।

गॉल्फ़ कार्ट


आज के लिए इतना ही। अगली बार हम हैण्डिकैप और गॉल्फ़ खिलाडियों के स्तर के बारे में जानेंगे, और यह कि एक अमेच्युअर और प्रोफ़ेश्नल खिलाड़ी में क्या फ़र्क होता है।

Saturday, October 31, 2009

आइये जाने गॉल्फ़ को - ३

पिछली बार आपने गॉल्फ़ बॉल के बारे में जाना, अब पढते हैं गॉल्फ़ क्लब के बारे में।

जिस तरह क्रिकेट में बैट से, टेनिस में रेकेट से बॉल को हिट किया (मारा) जाता है, उसी प्रकार गॉल्फ़ में जिस स्टिक से बॉल को हिट किया जाता है उसे साधारणत: 'क्लब' कहा जाता है। जहाँ बाकी खेलों में एक ही प्रकार के बैट, रेकेट इत्यादि होते हैं, वहीं गॉल्फ़ में कई प्रकार के 'क्लब्स' होते हैं जिनकी सहायता से यह खेल खेला जाता है। यह क्लब्स रखने के लिए एक बैग होता है, जिसे 'गॉल्फ़ किट' या 'गोल्फ़ बैग' कहा जाता है। गॉल्फ़ खेलते समय यह किट खिलाड़ी खुद या उनके सहायक उठाकर चलते हैं। इन सहायकों को 'कैडी' कहा जाता है। कैडी किट उठाकर चलने के अलावा भी काफ़ी काम का होता है। उसके बारे में बाद में जानेंगे। पहले यह जान लें कि गॉल्फ़ में कई प्रकार के क्लब्स क्यों होते हैं और उनकी क्या भूमिका होती है।

जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ कि गॉल्फ़ का मैदान काफ़ी विस्तृत होता है, और खिलाड़ी को उसकी बॉल एक जगह से शुरु करके एक होल तक पहुँचानी होती है। तो हर बार खिलाड़ी के लिये एक नई चुनौती होती है, क्योंकि उसका हर शॉट किसी अलग जगह ही जा कर गिरेगा। एक उदाहरण से समझते हैं। एक होल है ४५० यार्ड्स का। एक खिलाड़ी टी से शुरुआत करता है। उसने बॉल हिट की, उसकी बॉल होल की दिशा में कहीं भी गिर सकती है। मान लेते हैं कि टी से १८० यार्ड्स की दूरी पर गिरी। अब खिलाड़ी को उसका अगला शॉट इस तरह से खेलना पडेगा कि बॉल होल से और नजदीक पहुँचे। मगर अब यहाँ से होल की दूरी है २७० यार्ड्स। इसी प्रकार उसका तीसरा शॉट होल के और नजदीक होगा। कुल मिला कर यह कहा जाय कि एक गॉल्फ़र एक ही शॉट को दुबारा नहीं खेलता तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसलिये एक ही 'क्लब' से अलग अलग दूरी के शॉट्स मारना, असंभव नहीं तो, आसान भी नहीं है। इसलिये, एक गॉल्फ़ किट में अलग अलग दूरी के शॉट्स मारने के लिये अलग अलग क्लब्स होते हैं।

एक क्लब के तीन हिस्से होते हैं:
ग्रिप (grip): जहाँ से क्लब को पकड़ा जाता है।
हेड (head): क्लब का वह सिरा जिससे बॉल को हिट किया जाता है।
शॉफ़्ट (shaft): ग्रिप और हेड को जोड़ने वाली लंबी छड़।

हर क्लब, दूसरे क्लब से अलग होता है, यानी कि शाफ़्ट की लंबाई और शाफ़्ट-हेड के कोण (angle) हर क्लब में अलग होते हैं। एक क्लब को उसकी श्रेणी और उसके नंबर से पहचाना जाता है। जैसे 3 wood, 4 wood, 5 wood या 2-iron, 3 iron ...9 iron इत्यादि। एक श्रेणी का क्लब उसी श्रेणी के कम नंबर वाले क्लब से लंबाई (shaft) में कम होगा पर कोण (shaft-head angle) ज्यादा होगा।

Shaft-Head Angle (शाफ़्ट-हेड कोण): यह बॉल की उँचाई और दूरी तय करता है। जितना ज्यादा कोण उतनी ज्यादा उँचाई परंतु कम दूरी, और कम कोण याने ज्यादा दूरी परंतु कम उँचाई।

नीचे दिया गया चित्र ३ मुख्य श्रेणियों को दर्शा रहा है।
वुड (wood): इन्हे 'फ़ेअरवे वुड्स' भी कहा जाता है। इनके द्वारा बॉल सर्वाधीक दूरी तक हिट की जा सकती है। यह बाकी क्लब्स से लंबे होते हैं। साधारणत: इनमें ३, ४, और ५ नंबर के वुड्स होते हैं। पहले यह लकड़ी के ही होते थे, इसलिये इन्हे वुड्स कहा जाता था। आजकल ये धातु के बनते है, परंतु वुडस नाम ही चलन में है हालाँकि इनके नाम में गॉल्फ़ के नंबर १ खिलाड़ी 'टाईगर वुड्स' का कोई योगदान नहीं है। :)

आयर्न (iron): यह नंबर 2 से नंबर 9 तक होते हैं। इनके अलावा इन्हीं में wedges (वेजेस) भी होते है pitching wedge, lob wedge और sand wedge.

पटर (putter): यह एकमात्र क्लब होता है जो कि बिना किसी कोण का होता है। इसका उपयोग सिर्फ़ green में ही किया जा सकता है, बॉल को होल में डालने के लिये।

इनके अलावा आजकल drivers भी काफ़ी चलन में हैं। यह सबसे लंबे होते हैं, और इनका हेड भी काफ़ी बड़ा होता है। लंबे टी शॉट्स खेलने के लिये इनका इस्तेमाल होता है।
इस तरह से देखें तो एक गॉल्फ़र के किट में एक putter, कुछ irons, wedges, woods और एक driver होते हैं।

देखें चित्र: Driver और Woods के कोण और प्रकार:

देखें चित्र: Putter, Irons और Wedges के कोण और प्रकार:

इन मानक (standard) क्लब्स के अलावा आजकल नई तकनीक से बने हुये hybrid क्लब्स भी आ रहे हैं। जो कि iron+wood को मिलाकर बनते हैं।

Wedges: जब बॉल green के काफ़ी पास आ जाती है तो pitching wedge (PW) या lob wedge (LW) का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि जब बॉल किसी sand bunker में चली जाती है तो sand wedge (SW) का इस्तेमाल किया जाता है।

वैसे तो गॉल्फ़ में इस बात का कोई नियम नहीं है कि कौन-सा शॉट कौन से क्लब से खेला जायेगा, और खिलाडी अपना शॉट खेलने के लिये अपनी किट से कोई भी क्लब चुनने के लिये स्वतंत्र होता है।
किस तरह के क्लब से कितनी दूरी का शॉट लगेगा इसका कोई मानक नहीं है। यह हर खिलाड़ी के तरीके पर निर्धारित होता है कि वह कितनी दूरी और कितनी सटीकता से शॉट मार सकता है। इसलिये खिलाडी अपने हिसाब से अपने किट में क्लब्स रखता है।

हाँ, जहाँ तक नियम की बात है, आधिकारिक रुप से एक टुर्नामेंट में एक खिलाड़ी के किट में अधिकतम १४ क्लब्स ही हो सकते हैं।

आज के लिये इतना ही।

चित्र साभार: www.visualdictionaryonline.com

Monday, August 17, 2009

कहाँ है हमारा स्वाभिमान?

हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति को हमारे ही देश में एक विदेशी एयरलाईंस के कर्मचारी द्वारा हवाईअड्डे पर तलाशी के नाम पर रोका जाता है। और इस गंभीर बात की अखबारों में तक खबर नहीं बनती।


जबकि हमारे एक "अभिनेता" को एक दूसरे देश में उसी देश के अधिकारियों द्वारा इम्मीग्रेशन के लिये रोका जाता है, और अपने देश का मीडिया सुबह शाम उसी खबर को बढा-चढा कर परोस रहा है।


इसे विडंबना कहें? या यही है हमारा (सोया हुआ) स्वाभिमान?