जिस तरह क्रिकेट में बैट से, टेनिस में रेकेट से बॉल को हिट किया (मारा) जाता है, उसी प्रकार गॉल्फ़ में जिस स्टिक से बॉल को हिट किया जाता है उसे साधारणत: 'क्लब' कहा जाता है। जहाँ बाकी खेलों में एक ही प्रकार के बैट, रेकेट इत्यादि होते हैं, वहीं गॉल्फ़ में कई प्रकार के 'क्लब्स' होते हैं जिनकी सहायता से यह खेल खेला जाता है। यह क्लब्स रखने के लिए एक बैग होता है, जिसे 'गॉल्फ़ किट' या 'गोल्फ़ बैग' कहा जाता है। गॉल्फ़ खेलते समय यह किट खिलाड़ी खुद या उनके सहायक उठाकर चलते हैं। इन सहायकों को 'कैडी' कहा जाता है। कैडी किट उठाकर चलने के अलावा भी काफ़ी काम का होता है। उसके बारे में बाद में जानेंगे। पहले यह जान लें कि गॉल्फ़ में कई प्रकार के क्लब्स क्यों होते हैं और उनकी क्या भूमिका होती है।
जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ कि गॉल्फ़ का मैदान काफ़ी विस्तृत होता है, और खिलाड़ी को उसकी बॉल एक जगह से शुरु करके एक होल तक पहुँचानी होती है। तो हर बार खिलाड़ी के लिये एक नई चुनौती होती है, क्योंकि उसका हर शॉट किसी अलग जगह ही जा कर गिरेगा। एक उदाहरण से समझते हैं। एक होल है ४५० यार्ड्स का। एक खिलाड़ी टी से शुरुआत करता है। उसने बॉल हिट की, उसकी बॉल होल की दिशा में कहीं भी गिर सकती है। मान लेते हैं कि टी से १८० यार्ड्स की दूरी पर गिरी। अब खिलाड़ी को उसका अगला शॉट इस तरह से खेलना पडेगा कि बॉल होल से और नजदीक पहुँचे। मगर अब यहाँ से होल की दूरी है २७० यार्ड्स। इसी प्रकार उसका तीसरा शॉट होल के और नजदीक होगा। कुल मिला कर यह कहा जाय कि एक गॉल्फ़र एक ही शॉट को दुबारा नहीं खेलता तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसलिये एक ही 'क्लब' से अलग अलग दूरी के शॉट्स मारना, असंभव नहीं तो, आसान भी नहीं है। इसलिये, एक गॉल्फ़ किट में अलग अलग दूरी के शॉट्स मारने के लिये अलग अलग क्लब्स होते हैं।
एक क्लब के तीन हिस्से होते हैं:
ग्रिप (grip): जहाँ से क्लब को पकड़ा जाता है।
हेड (head): क्लब का वह सिरा जिससे बॉल को हिट किया जाता है।
शॉफ़्ट (shaft): ग्रिप और हेड को जोड़ने वाली लंबी छड़।
हर क्लब, दूसरे क्लब से अलग होता है, यानी कि शाफ़्ट की लंबाई और शाफ़्ट-हेड के कोण (angle) हर क्लब में अलग होते हैं। एक क्लब को उसकी श्रेणी और उसके नंबर से पहचाना जाता है। जैसे 3 wood, 4 wood, 5 wood या 2-iron, 3 iron ...9 iron इत्यादि। एक श्रेणी का क्लब उसी श्रेणी के कम नंबर वाले क्लब से लंबाई (shaft) में कम होगा पर कोण (shaft-head angle) ज्यादा होगा।
Shaft-Head Angle (शाफ़्ट-हेड कोण): यह बॉल की उँचाई और दूरी तय करता है। जितना ज्यादा कोण उतनी ज्यादा उँचाई परंतु कम दूरी, और कम कोण याने ज्यादा दूरी परंतु कम उँचाई।
नीचे दिया गया चित्र ३ मुख्य श्रेणियों को दर्शा रहा है।
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आयर्न (iron): यह नंबर 2 से नंबर 9 तक होते हैं। इनके अलावा इन्हीं में wedges (वेजेस) भी होते है pitching wedge, lob wedge और sand wedge.
पटर (putter): यह एकमात्र क्लब होता है जो कि बिना किसी कोण का होता है। इसका उपयोग सिर्फ़ green में ही किया जा सकता है, बॉल को होल में डालने के लिये।
इनके अलावा आजकल drivers भी काफ़ी चलन में हैं। यह सबसे लंबे होते हैं, और इनका हेड भी काफ़ी बड़ा होता है। लंबे टी शॉट्स खेलने के लिये इनका इस्तेमाल होता है।
इस तरह से देखें तो एक गॉल्फ़र के किट में एक putter, कुछ irons, wedges, woods और एक driver होते हैं।
देखें चित्र: Driver और Woods के कोण और प्रकार:
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Wedges: जब बॉल green के काफ़ी पास आ जाती है तो pitching wedge (PW) या lob wedge (LW) का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि जब बॉल किसी sand bunker में चली जाती है तो sand wedge (SW) का इस्तेमाल किया जाता है।
वैसे तो गॉल्फ़ में इस बात का कोई नियम नहीं है कि कौन-सा शॉट कौन से क्लब से खेला जायेगा, और खिलाडी अपना शॉट खेलने के लिये अपनी किट से कोई भी क्लब चुनने के लिये स्वतंत्र होता है।
किस तरह के क्लब से कितनी दूरी का शॉट लगेगा इसका कोई मानक नहीं है। यह हर खिलाड़ी के तरीके पर निर्धारित होता है कि वह कितनी दूरी और कितनी सटीकता से शॉट मार सकता है। इसलिये खिलाडी अपने हिसाब से अपने किट में क्लब्स रखता है।
हाँ, जहाँ तक नियम की बात है, आधिकारिक रुप से एक टुर्नामेंट में एक खिलाड़ी के किट में अधिकतम १४ क्लब्स ही हो सकते हैं।
आज के लिये इतना ही।
चित्र साभार: www.visualdictionaryonline.com