Friday, May 26, 2006

आरक्षण: शायद ऐसा तो नहीं होगा...??

आरक्षण के बारे में अब मैं और क्या कहूँ? बडे़ बुढे, सभी लोग कुछ ना कुछ कहे जा रहे हैं.

मुझे आज ही एक ईमेल में यह फ़ार्वर्ड आया, सोच के ही मन में जाने कैसा कैसा लग रहा था, सोचा आप के साथ भी
अपनी सोच बाँट लूँ.

आखिर मैं अकेला क्यों इसके पीछे परेशान रहूँ??





क्या हमारी अगली पीढी ऐसा ही कुछ देखने वाली है??

Tuesday, May 23, 2006

गिफ़्ट के लिये थैंक्यू!!

गप्पू भाई ने जो हमारी शादी का नगाडा बजाया है, उसके लिये पहले तो हम उनको धन्यवाद देते हैं.
 
माना कि- आज की तारीख में उनकी ये बात हम पर फ़िट नहीं बैठती,
मगर जो बडे बुढों की टिप्पणियाँ आई है उसे देखकर तो यही लगता है कि इससे फ़िट और कुछ हो भी नहीं सकता.

वैसे,
जो आपने बताया है वो तो "गोडाऊन" में रखा होता है, हम तो "शोरूम" देखकर ही खुश हो जाते हैं.
बाद की तो बाद में कहेंगे, आज आपसे हम अपने आज-के हाल बताते हैं:-


डालर का मोह ले आया हमें अपने वतन से दूर,
टप्पे खाते खाते लो पहूँच गये आखिर सिंगापूर,
 
आखिर सिंगापूर, हमें तो नजर ये आया,
यहाँ से तो अच्छे बंगलौर में ही थे भाया,
 
वहाँ खाने का इंतजाम तो था ही पक्का,
हर चीज में नहीं मिलाते कोई "मक्का",

मिल जाता था वहाँ दाल चावल राजमा रोटी,
यहाँ तो खाओ मुर्गा मच्छी मेंढक और बोटी,
 
यहाँ का खाना खा के भी जाने क्या हो फ़ायदा,
रोटी पराठा नूडल्स, मैदे से ही बनाने का कायदा,
 
रोज रोज होटल में खाने पर हो पेट और पैसे की बरबादी,
इन्ही सब झंझटों को टालने के लिये कर बैठे हम शादी,
 
कर बैठे हम शादी, मगर अब भी छडे छडे हैं,
बीबी है भारत में और खुद अकेले यहाँ पडे हैं,
 
वो वहाँ हम यहाँ मत पुछो अब कैसा है ये मन,
उनको तो अपने पास लाने का अब पूरा हैं जतन,

हाथ जोडे, सर फ़ोडा और दाँतो को पिसा,
पर अभी नही बना मोहतरमा का वीसा,
 
माना कि अपनी शादी तो हुई है नई नई,
पर मैडम को आते आते गुजर जाएगी मई,
 
जून जुलाई अगस्त बारिश में झुमेंगे,
बीबी के साथ ही पूरा सिंगापुर घुमेंगे,
 
अभी तो कर रहा हूँ कंजूसी औ' बचा रहा हूँ पैसा,
तभी तो एन्जॉय कर पाउंगा बर्डपार्क और सैण्टोसा,
 
आगे का तो पता नहीं हाल अभी का सुना रहा हूँ,
शादी होने के बाद भी साथ रहने को तडप रहा हूँ,
 
रोज सुबह तो आज भी दफ़्तर देर से जाता हूँ,
बाद की छोडो, अभी ही बॉस की डाँट खाता हूँ,
 
करनी माना मेरी ही है सो मैं उसे भर लुंगा,
बीबी रहेगी साथ में, उसे, जी भर तो देखुंगा,
 
काश मालिक मुझमे ये डालर का मोह ना जगाता,
कुछ समय ही सही, बीबी के साथ तो रह पाता,
 
अगर अपनी मैडम को मैं अपने साथ ही यहाँ ले आता,
कितना ही अच्छा होता मैं फ़ोर्स्ड बैचलर तो ना कहलाता.


माना कि ये आडी तेढी तुकबन्दी है,
मगर क्या करें आजकल तो दिल ही तेढा हो रहा है,
सीधी बात कहाँ से निकलेगी....?

याने कि- जस का तस धर रखा है!!

Monday, May 15, 2006

फ़ोर्स्ड बैचलर!!

यह वाक्य पहले कई बार सुना था, मगर आज यह खुद महसूस कर रहा हूँ.
 
सिंगापुर से वापस भारत जाने से पहले एक पोस्ट लिखा था. सोचा था कि भारत जा कर विस्तार से घोषणा करूंगा.
 
मगर, पता नहीं था कि अपना कम्प्यूटर भी चालु करने से महरूम कर दिया जाउंगा. इसलिये कुछ नहीं लिख पाया.
 
अब बात को और झुलाते नहीं हैं, और (सगर्व) यह घोषणा करते हैं कि अब हम शादीशुदा लोगों की बिरदरी में पदार्पण कर चुके हैं.
 
हालिया ९ मई २००६ को हम इन्दौर शहर की ही कु० प्रणोती के साथ दांपत्य जीवन की डोर में बंध चुके हैं.
 
हालांकि बहुत कुछ लिखना चाहते थे, मगर शादी की भागा दौडी के बीच कुछ सुझा ही नहीं,
और ना ही हम ब्लाग बिरादरी को न्योता दे पाये. आशा है इसके लिये बंधुगण हमें क्षमा करेंगे.
 
शायद आप सभी बंधुओं की और आपकी शुभकामनाओं की अनुपस्थिति का ही परिणाम है कि आज हम "फ़ोर्स्ड बैचलर" बन कर वापस सिंगापुर आ गये हैं.
 
यानि कि अभी हमारी मैडम, क्या कहा? कौन? अरे यार याने हमारी धर्मपत्नी जी, और नाम? उपर लिखा है ना नाम, फ़िलहाल तो हमारे परिवार के साथ हमारे गृहनगर में ही है, और थोडे समय बाद याने कि २०-२५ दिनों बाद सिंगापुर में हमारे साथ आयेंगी.
 
हम तो नहीं चाहते थे आना, पर क्या करें? नौकरी है तो चाकरी बजानी पडती है.
 
यहाँ से गये कैसे,
विवाह कैसा हुआ, क्या क्या गडबडियां हुई,
आये कैसे,
आते जाते समय रास्ते में क्या हुआ,
जरुर लिखुंगा और विस्तारपूर्वक लिखुंगा.
 
कृपया थोडा समय दें.
 
फ़िलहाल इतना ही, बाकी बाद में.

Wednesday, May 03, 2006

आज सिंगापुर से आखिरी पोस्ट

 
अरे नहीं भाई लोगों,
घबराओ नहीं, इतनी जल्दी सिंगापुर छोडकर नहीं जा रहा हूँ.
 
(और ज्यादा खुश होने की भी जरुरत नहीं है)
 
मैं आज भारत के लिये कूच कर रहा हूँ, किसलिये कर रहा हूँ ये वहाँ पहुँच कर बताउँगा. ;)
 
तब तक के लिये - खुदा हाफ़िज.
 
वैसे तो खुदा मेरा ही हाफ़िज रहे तो अच्छा है!
 
क्यों?
 
क्योंकि जीवन सागर के मझधार में पहुँचने वाला हूँ!
और एक कैटेगरी को तज कर दूसरी कैटेगरी में प्रवेश करने वाला हूँ.
 
...इशारों को अगर समझो, राज को राज रहने दो..;)
 
अगली पोस्ट में "मैडम" के बारे में भी कुछ रहेगा.
 
नमस्ते.