वैसे तो वह कोई पहेली नहीं थी, और ना ही कोई इनाम-शिनाम मिलने वाला था।
पिछली पोस्ट में तो सिर्फ़ इनाम कि घोषणा के बारे में ही लिखा था। :)
इस कहानी की प्रेरणा मुझे अपने देश पर बारंबार आतंकवादी हमले होते हुये, भारत सरकार के रवैये, पाकिस्तान के जवाब, भारत की अमेरिका से शिकायत/मदद की गुहार और उस पर मिलते हुये आश्वासन और निर्देशों को देख कर मिली।
खैर इस विषय पर क्या कहें और कितना कहें?
जो हो रहा है, जैसा चल रहा है उसे देख सुन कर मन थक सा गया है।
चलो, आप लोगों को अब तो उस कहानी के पात्र समझ आ गये ना?
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