हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति को हमारे ही देश में एक विदेशी एयरलाईंस के कर्मचारी द्वारा हवाईअड्डे पर तलाशी के नाम पर रोका जाता है। और इस गंभीर बात की अखबारों में तक खबर नहीं बनती।
जबकि हमारे एक "अभिनेता" को एक दूसरे देश में उसी देश के अधिकारियों द्वारा इम्मीग्रेशन के लिये रोका जाता है, और अपने देश का मीडिया सुबह शाम उसी खबर को बढा-चढा कर परोस रहा है।
इसे विडंबना कहें? या यही है हमारा (सोया हुआ) स्वाभिमान?