Thursday, March 02, 2006

क्या से क्या हो गया…?

अभी कहीं से एक जालस्थल पन्ने की लिंक मिली।

वैसे बात यह है कि,
अब इतिहास बदलना तो मुमकिन नहीं है,
और गड़े मुर्दे उखाड़ने से भी कोई फ़ायदा नहीं है,
मगर पढ कर महसूस हुआ कि चचा की श्मशीर ने कोई कसर नहीं छोड़ी।

मगर अब तो यही कहना है:
"बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेई"

1 comment:

Pratik Pandey said...

इसी विषय पर मैंने भी एक प्रविष्टि लिखी थी - ताजमहल है एक शिव-मन्दिर