Wednesday, March 29, 2006

मिल गया, हमको तोहफ़ा मिल गया...

रवि भाई को बहुत बहुत शुक्रिया जो उन्होने हमारे जन्मदिन की सालगिरह (जीतू भैय्या ध्यान दें) के उपलक्ष्य में बतौर उपहार पुरा का पुरा 'पोस्ट' ही हमारे नाम कर दिया. भले ही जबरन माँग के लिया है, पर अब तो हमारा है.

काफ़ी दिनों बाद एक 'इंटैलेक्चुअल' तोहफ़ा मिला है. सधन्यवाद एवं सहर्ष अंगीकृत!!

तोहफ़ा मिलते ही सोचा टिप्पणी दी जाये, मगर फ़िर लगा कि सिर्फ़ टिप्पणी देना रवि जी के दिये गये तोहफ़े की शान में गुस्ताखी होगी, इसलिये 'पलट पोस्ट' कर रहा हूँ.

अब लोगबाग सोच रहे होंगे कि इसमे 'इंटैलेक्चुअलपना' कहाँ है, तो बंधुवर, अगर कोई जिन्दगी के फ़लसफ़े साफ़ सुंदर सटीक शब्दों में आपको टिका रहा है तो वह भले लोगों की भाषा में 'इंटैलेक्चुअलिटी' ही कहलाती है.

वैसे मेरा तो मानना है कि जीवन में ३ "" का बडा महत्व है, और इन्ही तीन "प" के कारण सब लोग पागल रहते हैं.

ये ३ 'प' हैं- प्यार, पैसा और परेशानी.

इन तीनों का काम एक दुसरे के बिना नहीं चलता, या यूँ कहें कि ये तीनो एक दुसरे के पूरक हैं तो भी अतिश्योक्ति ना होगी.

प्यार और पैसा जहाँ आ जाता है, वहाँ पीछे पीछे परेशानी भी आ ही जाती है. मगर जहाँ प्यार और पैसा नहीं; मियां जहाँ इनमें से कोई नहीं वहाँ पहले ही से परेशानी के अलावा क्या रहेगा?

रवि जी ने बडी सफ़ाई से हमें (सबको) ये समझाने की कोशिश की है कि-'खबरदार, अभी भी वक्त है, मान जाओ', मगर क्या करें? 'दिल तो पागल है, दिल दीवाना है..'

अब अपना तो 'दिल है कि मानता नहीं..', और फ़िलहाल तो प्रसन्न हैं और इंतजार कर रहे हैं (रवि जी की लिस्ट में अंतिम से तीसरा बिन्दु).
:
:
:
चाहता तो था कि और बहुत लिखुँ मगर क्षमा चाहता हूँ.

पहली बार अपने जन्मदिन (जीतू भैय्या, हम तो "जन्मदिन" ही बोलेंगे आप चाहे जो समझिऐ) पर अपने प्रियजनों से काफ़ी दूर बैठा हूँ, खुद फ़ोन कर कर के शुभकामनाऐं लेनी पड रही है, और 'होम सिकनेस', 'फ़्रेण्ड्स सिकनेस', 'इंडिया सिकनेस' न जाने कौन कौन सी सिकनेसें होने लगी है.

अब तो और लिखा नहीं जा रहा.

खत को तार और थोडे को बहुत समझिऐ.

शब्ब-बह-खैर!!

7 comments:

Poonam Misra said...

विजय , आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई ! आशा करती हूँ आपका जीवन खुशियों से आबाद रहे.

अनूप शुक्ल said...

तमाम 'सिकनेस' से घिरे साथी को जन्मदिन की अनेकानेक शुभकामनायें।

अनुनाद सिंह said...

इस क्षुद्र हृदय की दुर्बलता को त्यागकर अच्छी तरह जन्मदिन मनाओ | वसुधैव कुटुम्बकम के गीत गाओ |

हमारी शुभकामनाओं के मेघ आपकी कुशलता की फसल को हरा-भरा करें |

नितिन | Nitin Vyas said...

खुश रहो आबाद रहो, सिंगापुर रहो या अहमदाबाद रहो!
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई !!

Anonymous said...

bahut bahut badhai ho janam din ki...

Anonymous said...

विजय भाई

जन्मदिन की हार्दिक बधाई

तुम जियो हजारो साल
हर साल मे लिखो ब्लाग हजार
ह ब्लोग की लाइने हो पचास हजार

आशीष

विजय वडनेरे said...

आप सभी स्नेहिलजनों की शुभकामनाओं के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.

आशीष जी: हाथ दुख जायेंगे यार!! खुब सारा लिखवा रहे हो