एक आदमी डॉक्टर के पास पहुँचा और बोला -
आदमी: डॉक्टर डॉक्टर, मेरी मदद कीजिये, मेरी आवाज में थोड़ी प्राब्लम है।
डॉ.: बताओ, क्या बात है?
आदमी: डॉक्टर, बात ये है कि मैं फ़ को फ़ बोलता हूँ।
डॉ.: अरे! यह कैसी परेशानी हुई? सभी लोग तो फ़ को फ़ बोलते हैं।
आदमी: अरे डॉक्टर, औरों का मुझे क्या पता, पर मैं तो फ़ को फ़ बोलता हूँ।
डॉ.: अरे! अजीब आदमी हो, मैं बोल तो रहा हूँ कि हर कोई फ़ को फ़ ही बोलता है।
आदमी: अरे ओ डॉक्टर, मैं बोल रहा हूँ कि मैं-फ़-को-फ़ बोलता हूँ।
डॉ.: हे भगवान, इसे कैसे समझाउँ? अरे! भले मानस, सब लोग फ़ को फ़ बोलते हैं, मैं फ़ को फ़ बोलता हूँ, और तो और तुम भी फ़ को फ़ ही बोल रहे हो।
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आदमी: अरे डॉक्टर फ़ाहब, मैं कब फ़े फ़मझा रहा हूँ, आप तो फ़मझने का नाम ही नहीं ले रहे। अरे माना फ़ब लोग फ़ को फ़ बोलते हैं, आप फ़ को फ़ बोलते हो...पर मैं तो फ़ को फ़ बोल रहा हूँ ना। और कैफ़े फ़मझाउँ?? आपको फ़ुनाई दे रहा होगा कि मैं फ़ को फ़ बोलता हूँ, पर मुझे तो पता है ना कि मैं फ़ को फ़ नहीं, फ़ बोलता हूँ, और ये मैं फ़मझ रहा हूँ कि मैं फ़ही नहीं बोल रहा हूँ। और ये इत्ती फ़ी बात आपकी फ़मझ में ही नहीं आ रही है। मैंने इतना फ़मझाया, लगता है आपकी फ़मझ में फ़िर भी नहीं आया, फ़िर फ़े फ़मझाउँ क्या??
डॉ.: @#$%$!$!$!!$!!@@#@!@!@&^*^&*!!!!
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कुछ आपकी फ़मझ में आया???
Friday, May 29, 2009
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4 comments:
ही ही ही
फजेदार चुटकुला।
फे भी फ को फ बोलता हूं।
:)
वाकई, फमझदारों के लिये यह चुटकुला है। कब से डाक्टर फाहब को फमझ की नही आ रहा था।
हा हा हा.......बहुत बढिया रहा..
हा हा!! मजेदार!!
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