गॉल्फ़ - हॉकी जैसी स्टिक से एक बाल को मारते चलो और मैदान में एक छेद में डाल दो। बस। बुढ्ढों का खेल है जो फ़िट रहने के लिये खेलते हैं। अमीर लोगों के चोंचले हैं..और ना क्या क्या।
ज्यादातर लोगों की गॉल्फ़ के बारे में यही सोच रहती होगी। देखने में तो काफ़ी सरल लगता है। मगर यकीन मानिये इतना भी सरल नहीं है। अभी हम इसके उपर जो टैग (अमीरों का खेल, बुढ्ढों का खेल इत्यादि) चिपका है उसे दरकिनार करते हुये समझते हैं कि आखिरकार यह खेल है क्या।
इस खेल का इतिहास वगैरह जानने के लिये तो कृपया गुगल देव की शरण में ही जायें। यहाँ हम सिर्फ़ इस खेल को सीधे साधे शब्दों में जानेंगे।
गॉल्फ़, एक बहुत बड़े परीसर में खेला जाता है। यह एक ऐसा खेल है जिसमें इसके परिसर का कोई मानक माप नहीं होता। इस परीसर को "
कोर्स" कहा जाता है। एक गॉल्फ़ कोर्स को वहाँ मौजुद "
होल्स" (कप्स/छेदों) की संख्या से मापा जाता है। ज्यादातर कोर्स नौ (९) या अठारह (१८) होल्स के होते हैं। इसका मतलब एक खिलाड़ी को उस गॉल्फ़ कोर्स में नौ/अठारह अलग अलग क्षेत्र मिलेंगे खेलने के लिए। जैसे किसी रेस में एक start और finish पाईंट होता है, वैसे ही एक "होल/कप" को खेलने के लिये भी एक start और एक finish पाईंट होते हैं। जो start पाईंट होता है उसे
टी/Tee कहते हैं। और finish
होल/कप पर होता है। इसका मतलब अगर कोई गॉल्फ़ कोर्स १८ होल्स का है तो वहाँ (कम से कम) अठारह Tee और ठीक अठारह Holes होंगे।
कम से कम इसलिये कहा है कि अठारह से अधिक भी tee हो सकती है। याने एक ही hole के लिये अलग अलग starting points भी हो सकते हैं, जो कि अलग अलग श्रेणी के खिलाडियों के लिये हो सकते हैं। श्रेणियाँ जैसे कि महिला खिलाड़ी, सीनियर (वेटरन) खिलाड़ी और प्रोफ़ेश्नल खिलाडी। बिलकुल मेराथन दौड़ की तरह। जहाँ बच्चों, वरिष्ठ, महिलाओं और पुरुषों के लिये अलग अलग start points होते हैं, पर finish point एक ही होता है।
गॉल्फ़ का एक खेल (ज्यादातर) १८ होल्स का ही होता है। जिसमें खिलाडी पहले tee से शुरु करते हैं, कम से कम शाट्स मार कर पहले होल में बाल डालने का प्रयास करते हैं, फ़िर दूसरे tee से शुरु कर के दूसरे होल में बाल पहुँचाते है, और इस तरह अठारह होल्स पुरे करते हैं। एक खेल के अंत में जिस खिलाड़ी ने सबसे कम शाट्स मारे होते हैं वह विजेता घोषित किया जाता है।
जैसे क्रिकेट में inning होती है वैसे ही गॉल्फ़ में "होल" होते हैं। फ़र्क यह होता है कि एक खिलाड़ी को एक-दो नहीं पुरे १८ होल्स खेलने होते हैं। और हर होल अपने आप में एक बड़ा सा मैदान होता है। हर होल में:
- tee और hole दोनो के बीच की दूरी अलग होती है
- tee से hole तक का रास्ता अलग होता है
- tee से hole के रास्ते में अड़चने अलग होती हैं
किसी का भी कोई मानक नहीं होता, यह उस कोर्स की रचना करने वाले पर या/और वहाँ मौजुद प्राकृतिक बाधाओं (वृक्ष, झाडियां इत्यादि) पर निर्भर होता है। और यही सब मिलकर गॉल्फ़ को एक कठीन खेल की श्रेणी में रखते हैं।
Tee का क्षेत्रफ़ल काफ़ी छोटा होता है, बिल्कुल समतल, और एक समान बारीक कटी हुई घास होती है। यहाँ दो मार्कर/चिन्ह होते हैं जिसके बीच में गेंद रख कर खेल आरंभ करना होता है। इस जगह के बाद गेंद को हाथ से छुना नियम विरुद्ध होता है।
Hole, यानि कि जहाँ गेंद डालनी होती है, के आस पास के क्षेत्र को
ग्रीन/green कहते हैं। इस जगह की घास बिल्कुल महीन कटी होती है। बिलकुल एक समान। यह क्षेत्र समतल हो जरुरी नहीं। अधिकतर तो यह समतल नहीं होता कहीं एक-दो या किसी भी तरफ़ ढलान सा लिये हुये होता है।
Tee और hole के बीच जो सामान्य क्षेत्र होता है उसे
फ़ेअरवे/fairway कहते हैं। यहाँ घास एक समान ही कटी होती है पर green से बड़ी होती है, और fairway में कुछ अड़चने हो सकती है। Fairway के आसपास उसकी सीमा दर्शाने के लिये झाड़ियाँ या पेड़ लगे हो सकते है। परंतु देखा जाये तो एक होल की कोई तय सीमा नहीं होती। मगर सही खेलने के लिये गेंद को tee से fairway होते हुये green और अंत में hole तक ले जाना होता है।
Fairway से बाहर के क्षेत्र को
रफ़/rough कहते हैं।
अड़चनें: खेल को और रोचक और कठीन बनाने के लिये green के आस पास, और fairway में अड़चने होती/हो सकती हैं। यह झाड़ी, पेड़ के अलावा रेत से भरा गढ्ढा (
बंकर) भी हो सकता है और पानी से भरी झील या पोखर भी हो सकता है। एक खिलाड़ी को इन सबसे बचते हुये अपनी गेंद hole तक पहुँचानी होती है।
अधिकतर गॉल्फ़ कोर्सेस में एक hole के नजदीक ही दूसरे होल का tee होता है ताकि दूसरे होल का खेल शुरु करने के लिये ज्यादा चलना ना पड़े। वैसे पुरे परीसर में एक पतला सा पक्का रास्ता भी बना होता है जहाँ बैटरी से चलने वाली कार, जिसे
golf cart कहते है, चलती है। पर यह जरुरी नहीं कि हर गॉल्फ़ कोर्स में यह हो ही।
वैसे तो इस खेल के क्षेत्र/परीसर का कोई मानक माप या रचना नहीं होती है, मगर एक चीज होती है जो मानक होती है।
वह होता है हर hole में गेंद पहुँचाने के लिये लगने वाले शाट्स/स्ट्रोक की संख्या। हर hole को एक शब्द से मापा जाता है -
Par/पार। एक tee से उसके होल में गेंद पहुँचाने में लगने वाले मानक शाट्स की संख्या को पार/par कहते हैं। यह निश्चित किया जाता है tee/green के बीच की दूरी को, उसकी अड़चनों को ध्यान में रखकर। यानि की अगर किसी एक होल का पार ४ है तो इसका मतलब एक औसत खिलाड़ी को tee से शुरु करके सिर्फ़ ४ शाट्स में गेंद को hole में डाल देना चाहिये। और इसी तरह से इस खेल में स्कोर रखा जाता है। 'पार' की तुलना में खिलाड़ी का स्कोर मापा जाता है। किसी होल का 'पार' कुछ भी हो सकता है - मगर एक बार तय होने के बाद सामान्यत: 'पार' बदलता नहीं है जब तक की कोर्स में ही कुछ बदलाव ना किया जाय।
इसे इस तरह से समझिये, एक गॉल्फ़ कोर्स में १८ होल्स हैं। हर hole के पार को जोड़ लें। फ़र्ज करें कि वह संख्या ७० आई, तो यह उस कोर्स का मानक हो गया। अब खिलाडियों को कम से कम ७० शाट्स में सारे holes पुरे करने चाहिये। स्कोर रखा जाता है पार से ज्यादा (+) या कम (-) । याने कि अगर किसी का अंतिम स्कोर +५ है तो इसका मतलब उसने ७५ शाट्स लगाये। अगर स्कोर -१० है तो उस खिलाड़ी ने ६० शाट्स में ही सारे holes पुरे कर लिये। जिसका स्कोर सबसे कम होता है वह खिलाड़ी जीतता है।
यह तो हुआ गॉल्फ़ कोर्स का विवरण। आगे ड्राईविंग रेंज और इसमें लगने वाली वस्तुओं (गेंद, स्टिक इत्यादि) की जानकारी लेंगे।
अगर ये विवरण पढकर आपको एक गॉल्फ़ कोर्स देखने का मन हो आया है तो इस
लिंक (http://www.bantrygolf.com/courseTour/index.cfm) को देखें।
मैने यह कड़ी इंटरनेट से ढुंढी है, इसमे वह सब है जो मैं बताना चाहता था।१. किसी जानकार को कोई त्रुटी नजर आई हो तो बतायें। दुरुस्त कर ली जायेगी। हम तो अभी अमेच्योर के "अ" भी नहीं हैं।आगे: