Wednesday, July 01, 2009

स्वयंवर

तो जनाब आखिरकार शुरु हो ही गया, स्वयंवर, वो भी राखी सावंत का।

मैने दोनो ही एपीसोड देखे हैं, और मुझे तो रुचि जाग रही है। अरे यार, राखी में नहीं, उसके स्वयंवर के कार्यक्रम में। आप लोग भी ना, कुछ भी सोचने लगते हो।

टीवी कार्यक्रम है तो, स्क्रिप्ट भी है ही और डायलाग्स, टेक-रीटेक भी होंगे ही, पर बीच में कभी कभी अचानक ही राखी को शब्द ढुँढते हुये, थोड़ा शर्माते हुए देखना अच्छा लग रहा है।

दूसरे ही एपीसोड में ३ लोगों की रवानगी हो गई। जो गए उन्हे राखी और रवि किशन ने राखी के लिये मुनासिब नहीं समझा।

रवि किशन जी आये थे राखी के भाई की हैसियत से अपने होने वाले बहनोई से कुछ सवाल जवाब करने।

कुछ जवाब तो मजेदार थे - एक ने कहा कि शादी के बाद वो राखी के लिये खाना बनाया करेगा, जब यह पुछा गया कि बनाना आता है तो जवाब आया कि सीख लुंगा। एक ने शादी के बारे में बड़ी अपरिपक्व बात की। उसे लगा शादी जैसा कि सिनेमा में होता है उसी तरह से होती होगी।

एक बात जो मैं ढुँढ रहा था और सुनना चाहता था वो किसी ने नहीं कही। जितने आये हैं, सभी ही राखी से बेइंतहा मोहब्बत करने वाले। कोई भी यह नहीं बोला कि - मैं तो शादी करने आया हूँ, शादी के बाद -हौले हौले से हो जायेगा प्यार सजना....!!

कुछ, जो अच्छे से स्थापित हैं, अपने अपने व्यवसाय में या फ़िर मॉडलिंग, एक्टिंग में उनके तो कुछ चांसेस दिखते हैं, परंतु कई ऐसे भी हैं जो अभी तक नौकरी-व्यवसाय में स्थायित्व से काफ़ी दूर हैं। शायद उनका सोचना हो कि अगर राखी से शादी हो गई तो उनका कैरियर भी सँवर जायेगा। मेरे खयाल से ऐसी सोच में कुछ बुरा नहीं है, जब तक कि आप इमानदार और साफ़ दिल के रहें।

यह स्वयंवर अच्छे से निपटे तो अच्छा है, वर्ना लोगों (प्रतियोगियों) को कीचड़ में उतरते देर नहीं लगती।
अभी तक तो प्रतियोगी (?) होने वाले दुल्हे एक दूसरे के लिये शालीन भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, देखते हैं ऐसा कब तक रह पायेगा।
एक दूसरे के लिये अमर्यादित भाषा, निजी बातों को उजागर करना जिस दिन शुरु हो जायेगा, उस दिन राखी क्या करेगी, पता नहीं।

क्या वो फ़िर भी उनमें से जो अंतिम बचेगा उसी के साथ शादी करेगी?

आपको क्या लगता है?

3 comments:

Udan Tashtari said...

देखते चलो अभी तो!!

नीरज गोस्वामी said...

राखी उन सोलह और हम देखने वालों को बेवकूफ बना रही है...मुझे तो उनमें से कोई ऐसा नहीं लगा जो राखी से शादी कर उसे संभाल सके...
नीरज

रंजना said...

मेरे पास दो कारण है इस कार्यक्रम को देखने के...
१. दृश्य जगत बाजारीकरण के कितने निकृष्ट स्तर तक उतर सकता है,यह देखने के लिए यह सबसे अच्छा माध्यम होगा ..

२. जब दिन भर के थकान से दिमाग ट्रस्ट हो तो फोकटिया कॉमेडी का इससे सरल और क्या जरिए होगा....

बाकी क्या किसी को सचमुच लगता है यह स्वयंवर (शादी) जैसा कुछ हो रहा है ?????

हा हा हा हा....