अगर आपके पास कोई ऐसा अडाप्टर है जो एसी कर्रेंट को डीसी कर्रेंट (१.५ वोल्ट - १२ वोल्ट) में कन्वर्ट करता है, किन्तु उसके (दोनों) आउटपुट टर्मिनल्स पर कोई मार्किंग नहीं है जिससे कि यह पता चले कि कौन सा प्लस और कौन सा मायनस है, तो यह जानने का एक बहुत सरल तरीका है|
एक कांच के ग्लास में पानी भर लीजिये, और उसमे एक चम्मच नमक मिला लीजिये| अब इस ग्लास में अडाप्टर से निकले हुए दोनों टर्मिनल्स डुबा दीजिये| ध्यान रहे कि दोनों टर्मिनल्स के सिरे खुरचे हुएहों| और हाँ, दोनों टर्मिनल्स आपस में जुड़े हुए ना हों|
अब पॉवर ऑन कीजिये|
आप देखेंगे कि दोनों में से एक टर्मिनल में से बारीक बारीक बुलबुले से निकलने लगे हैं| बस| यही है आपका मायनस वाला टर्मिनल|
है ना सरल तरीका? एक पेन्सिल सेल से आप इसका प्रयोग कर के देख सकते हैं|
अब यह बुलबुले क्यों निकलते हैं, इसका जवाब तो कोई जानकार ही देगा|
आपको पता है क्या? तो बताइये ना...
Monday, May 24, 2010
Monday, February 01, 2010
किस बात का डर?
मैं फिलहाल लन्दन में हूँ, और आज अपने होटल के कमरे में टीवी देख रहा था
चैनल बदलते बदलते एक चैनल पर रुका (DM Digital), यहाँ अकसर पाकिस्तानी कार्यक्रम आते हैं
देखा तो एक कार्यक्रम का प्रसारण हो रहा था शायद (लन्दन में ही) कहीं तो कोई मस्जिद बनने वाली है और उसके लिए चंदा कलेक्शन का काम हो रहा था
जैसा कि कोई भी अन्य कार्यक्रम होता है वैसा ही चल रहा था कुछ आयतें लिखी हुई तस्वीरों की बोली लग रही थी और लोग खरीद रहे थे और फिर आखिर में एक बन्दा बनने वाली मस्जिद के बारे में बताने लगा वह भी ठीक था, पर उन्होंने २ बातें कहीं जिन्होंने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया उनके शब्दों में:
१ हमें दिल खोल कर पैसा देना चाहिए ताकि हम पुरे UK में मस्जिदों का जाल बिछा दें
२ ताकि हमारे बच्चों को, बुजुर्गों को, कौम को कोई डर ना रहे
क्या कोई इस बात पर रौशनी डाल सकता है कि लोगों को किस बात का डर है? और जाल बिछा कर क्या मिलने वाला है?
चैनल बदलते बदलते एक चैनल पर रुका (DM Digital), यहाँ अकसर पाकिस्तानी कार्यक्रम आते हैं
देखा तो एक कार्यक्रम का प्रसारण हो रहा था शायद (लन्दन में ही) कहीं तो कोई मस्जिद बनने वाली है और उसके लिए चंदा कलेक्शन का काम हो रहा था
जैसा कि कोई भी अन्य कार्यक्रम होता है वैसा ही चल रहा था कुछ आयतें लिखी हुई तस्वीरों की बोली लग रही थी और लोग खरीद रहे थे और फिर आखिर में एक बन्दा बनने वाली मस्जिद के बारे में बताने लगा वह भी ठीक था, पर उन्होंने २ बातें कहीं जिन्होंने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया उनके शब्दों में:
१ हमें दिल खोल कर पैसा देना चाहिए ताकि हम पुरे UK में मस्जिदों का जाल बिछा दें
२ ताकि हमारे बच्चों को, बुजुर्गों को, कौम को कोई डर ना रहे
क्या कोई इस बात पर रौशनी डाल सकता है कि लोगों को किस बात का डर है? और जाल बिछा कर क्या मिलने वाला है?
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