मुझे आज ही एक ईमेल में यह फ़ार्वर्ड आया, सोच के ही मन में जाने कैसा कैसा लग रहा था, सोचा आप के साथ भी
अपनी सोच बाँट लूँ.
आखिर मैं अकेला क्यों इसके पीछे परेशान रहूँ??
क्या हमारी अगली पीढी ऐसा ही कुछ देखने वाली है??
24 घंटे कम नहीं होते। बहुत कुछ घटता है। आपके साथ, आपके अपनों के साथ, और अनजानों के साथ भी। व्यक्ति विशेष नहीं होते, घटनाएँ विशेष होती हैं, यही सब पाएंगे आप यहाँ।
7 comments:
विजय भाई सही के रये हो
मजाक और सच्चाई में अन्तर होता है | मजाक, तर्क का गला घोटने का सबसे बढिया औजार है |
विजय भाई, पहले तो ये बडा तो ठीक है, "बूढा" कौन है, मतलब किसकी तरफ इशारा है। पहले भी आपके कमेन्टों में कहीं पढा है ये शब्द। और जनाब अनाम (Anonymous) जी मजाक और व्यंग सच्चाई को जाहिर करने का दूसरा तरीका भी है, जो त्वरित समझ आता है (मूढों को भी)।
आशीष भाई: में केता तो सई हूँ यार, पन लोगहोन ईच्च गलत ले लेते हैन्गे!
ई-शेडो भाई: अरे भीया, मैं तो तजर्बेकार लोगहोनो की तरफ़ इसारा कररिया था :) आप दिल पे मत लेओ यार! अभी तो आप जवान हो..
अनाम बंधु:
बिल्कुल सही कहा आपने- मजाक और सच्चाई में अंतर होता है. आप सिर्फ़ इस मजाक से तकलीफ़ पा रहे हैं और आम लोग इस सच्चाई से.
वैसे तर्क का गला घोंटने वाली चीज होती है "कुर्सी" और "ताकत", जिसका (ना)जायज इस्तेमाल हम आजकल रोज टी०वी० पर देख रहे हैं; कालेज स्टुडेन्ट्स पर और डॉक्टर्स पर...!! उस सच्चाई की तरफ़ भी थोड़ा गौर किया होता.
कार्टून तो लाजवाब है भाया।
आयं ये बुड्ढा किसे कह रहे हो भाई, उम्मीद है मेरी मै इसमे शामिल नही हूँ।
अगर मै शामिल हूँ तो मेरी कमेन्ट वापस करो, हमे नही कमेन्ट करनी ऐसे ब्लॉग पर जहाँ लोग आपको बुढ्ढा बुढ्ढा बोलते हो। समझ गये ना।(नोट:फ़ुरस्तिया जी बुढ्ढा कहने पर बुरा नही मानते)
जीतू भैय्या: मैने एक कहावत पढी थी - चोर की दाढी में तिनका पर इसका मतलब आज समझ में आया है. :)
जगजीत सिंह जी की एक गज़ल भी है ना: सच्ची बात कही थी मैने, लोगों ने सूली पे चढाया, मुझको ज़हर का ज़ाम पिलाया, फ़िर भी उनको चैन ना आया.....
आपने कारटून पोस्ट करके बहुत अच्छा किया, मेरा खयाल है कारटून और आईने में कुछ ज़्यादा फर्क नहीं है।
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