चिंटू खरगोश और बंटू कछुआ इंजीनियरींग प्रवेश की परीक्षा में बैठे.
जब परिणाम आया तो सबने देखा कि चिंटू को ८३% अंक मिले हैं जबकि बंटू को मात्र ६१%.
मगर फ़िर भी इंजीनियरींग कॉलेज में बंटू कछुए को ही दाखिला मिलता है.
क्या आप जानते हैं क्यों??
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सोचिये सोचिये!!
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अरे खेल कोटे में यार.
आप लोग भी ना! जाने कहाँ से जात-पात वगैरह वगैरह सोचने लगते हैं.
भूल गये क्या? जब बचपन में, खरगोश और कछुए की दौड़ हुई थी तो उस दौड़ में कौन जीता था?
कछुआ ही तो जीता था ना? फ़िर??
Friday, June 16, 2006
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2 comments:
वाह। क्या अन्दाज़ है। यूहीं हँसते-हँसाते रहें ।
चंद लाइनों की यह रचना मेरे चेहरे पर मुस्कान बिखेर गई. धन्यवाद :)
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