Tuesday, November 27, 2007

शायराना पहेली

बैठे बैठे अचानक ही मेरे दिमाग में ये कीडा कुलबुलाया कि क्यों ना आप लोगों से एक शायराना पहेली पूछी जाय?
पहेली कुछ ऐसी है कि - एक शेर की पहली पंक्ति मैं लिखता हूँ, आप लोग उसे पूरा करने का प्रयत्न करें। दूसरी लाइन कुछ भी हो सकती है। यानी की जरूरी नहीं कि "सीरियस" टाईप की ही हो।

वैसे मेरे पास भी एक 'दूसरी' लाइन है, पर देखते हैं कि दूर दूर बैठे हम लोग एक जैसा सोच सकते हैं या नहीं।

तो लीजिये, पहली लाइन है:

शाम जवान है ....

अब आपकी बारी।

7 comments:

अनूप शुक्ल said...

जवानी में उफ़ान है।

मीनाक्षी said...

ऐसे में आता बस तूफान है

Sanjay Karere said...

तुम पर दिल कुर्बान है

अमित said...

हाथों में एक जाम है
या
ऐसे में तुम कहां हो

अमिताभ मीत said...

शाम जवान है ............. दिल तो बदगुमान है
वो कभी न आएगा इसका इत्मिनान है
दिल का मगर क्या कीजे, आस पे ही जीता है
ये भी आसरा न छीन .... इस पे टिकी जान है

Anonymous said...

गला हलकान है
किराये का मकान है
दूर दुकान है
आया मेहमान है

विजय वडनेरे said...

मैं बहुत दिनों तक इंतजार करता रहा कि कभी तो कोई मेरे जैसे सोचेगा. मगर नहीं, इतना फटा हुआ कोई सोच नही पाया.

मैंने सोचा था-

शाम जवान है,
और घनशाम मेजर है!!