यह बातचीत है दो सहेलियों की. पहली जिसको कुछ शादी के लिये रिश्ते आये हैं और दूसरी जो अच्छे रिश्ते छाँटने में पहली की मदद करती है।
अपनी सहुलियत के लिए हम इन सहेलियों के नाम रख देते हैं।
जिसको रिश्ते आएं हैं - नित्या, और इसकी सहेली - विद्या।
विद्या: hey नित्या डियर, क्या बात हो गई जो मुझे इतना urgent में फ़ोन करके बुला लिया?
नित्या: आओ विद्या. तुम्हे याद है कुछ समय पहले मेरे parents ने computer से मेरी कुँडली बनवाई थी? मेरे लिए एक अच्छा सा लड़का ढुँढने के लिए?
विद्या: हाँ हाँ, याद है ना। फ़िर तुमने दो-चार मेट्रिमॉनी websites में register भी तो किया था. क्यों कुछ ढँग के लड़के आए हैं क्या?
नित्या: हाँ आए हैं ना. इतने सारे आए हैं कि तुम्हे क्या बताऊँ. पर उनमे से ५-६ ही हैं जिनपर विचार किया जा सकता है।
विद्या: अच्छा। तो फ़िर डियर, confusion क्या है?
नित्या: अरे! जो ५-६ लड़के Mom-Dad ने select किए हैं ना, वो सब-के-सब Software Engg. हैं। ऐसा लगता है कि यह Software Engg. आजकल दूसरी field की लड़कियाँ चाहते हैं शादी के लिए।
विद्या: अच्छा?
नित्या: हाँ, और चुँकि तुम भी एक Software Engg. हो, तुम सही लड़का चुनने में मेरी मदद कर सकती हो। है ना??
विद्या: हाँ, हाँ, जरुर, क्यों नहीं। तुम एक एक करके उनके बारे में बताओ.
नित्या: यह लो पहला। यह एक मैनेजर है।
विद्या: मैनेजर? ओह! फ़िर तो यह हमेशा यही जताता रहेगा कि यही सबसे ज्यादा व्यस्त है, पर असल में खुद कुछ नहीं करेगा। यह तुमको सिर्फ़ एक किलो चावल देकर सारे के सारे गाँव के लिये खाना बनाने के लिए कहेगा। यह तुमको मटन दे कर "चिली चिकन" बनाने को कह सकता है। और अगर तुम कहोगी भी कि तुम नहीं बना सकती, वो नहीं मानेगा। वो तुमसे खुब मेहनत करवाएगा। और तो और वो तुमको nigh shift allowance भी देने का वादा करेगा, पर देगा कभी नहीं। अगर तुम साफ़ मना करोगी कि दिन रात मेहनत कर के भी मटन से "चिली चिकन" नहीं बन सकता तो भी वो नहीं मानेगा, और तुमको हर तरफ़ से यह मानने पर मजबुर करेगा कि वो ही सही है।
नित्या: बाप रे!! इतना खतरनाक? इससे तो बच कर ही रहना पडेगा। चलो यह देखो, यह दूसरा एक Test Engg. है।
विद्या: अरे! यह तो और भी खतरनाक है। तुम चाहे जो भी करो, जैसे भी करो, यह बिना भूले, बिना गलती के तुम्हारे काम में "गल्तियाँ" ही ढुँढेगा। अगर तुम इसे १० अलग अलग dishes भी बना कर खिलाओगी तो भी यह उनमें से यह तुरंत बता सकता हि कि किसमें नमक कम पड़ा है। अगर तुम इसे कहोगी कि -कम से कम इतना ही कह दो कि खाना अच्छा बना है - तो यह कहेगा कि - अच्छा बनाना तो तुम्हारी duty ही है। यह हर बात में सिर्फ़ और सिर्फ़ Testing ही करेगा।
नित्या: इसको भी reject करो। अगला एक Performance Test Engg.
विद्या: यह भी एक नमुना ही है। अगर कभी सारा खाना अच्छा भी बनी ना, तो भी यह कहेगा कि इतना time क्यों लगा? अगर तुम coffee बनाने में 10 मिनट लगाओगी तो यह कहेगा कि 10 मिनट क्यों लगे? यह काम तो 5 मिनट में भी हो सकता था। भले ही तुम कहो कि तुमने instant coffee नहीं filter coffee बनाई है, तो भी यह नहीं मानेगा। यह तुम्हारे किए हुए सारे कामों के बारे में ऎसा ही कहेगा. अगर तुम शादी के बाद भी "make-up" करना चाहती हो तो इससे शादी करने से पहले 100 बार सोच लो।
नित्या: अरे यार! तो क्या तुम कहती हो कि software engg. से शादी करना ही नहीं चाहिये?
विद्या: ऐसा किसने कहा? इनमें एक प्रकार और होता है -जो शादी करने के लिए बिल्कुल फ़िट होता है।
नित्या: ऐसा? तो फ़िर बताओ ना, वो कौन सा प्रकार होता है?
विद्या: उन्हें Developers कहा जाता है।
नित्या: अरे वाह! तो फ़िर तुम इन Developers के बारे में कुछ बताओ ना!!
विद्या: यह तो सबसे अच्छे टाईप के लोग होते हैं। यह सारा काम खुद करते हैं। खुद का काम तो करते ही हैं, साथ में दूसरों का काम भी कर लेते हैं - वो भी बिना किसी शिकायत के। इन्हे बस जोश दिलाते रहना पड़ता है। इनके साथ बस एक ही problem होती है - इन्हें कुछ भी कहो, यह हमेशा कहेंगे कि इन्हें सब पता है। वैसे यहाँ तक भी ठीक है। तुम इन्हें चाहे जितना काम दे सकते हो, यहाँ तक कि चाहे जितना मार सकते हो, बस एक शर्त है, इन्हें बार बार यह सुनना होता है -"अरे वाह! तुम कितने अच्छे हो, कितना अच्छा काम करते हो.."
नित्या: Great! यह तो बहुत अच्छे "पति" बन सकते हैं। मुझे लगता है कि मैं ऐसे ही किसी Developer के साथ ही खुश रह पाउंगी। चलो मैं तो चली - किसी Developer को ढुँढने। Many Thanks विद्या, तुमने काफ़ी अच्छी सलाह दी। Thanks a ton!! Bye!!
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सूचना: उपरोक्त बातचीत दो काल्पनिक व्यक्तियों के बीच, किन्तु सत्य तथ्यों पर आधारित, है। अगर आपका नाम उपर कहीं आया है तो इसे सिर्फ़ एक इत्तेफ़ाक ही समझें।
उपसूचना: उपरोक्त तथ्य are subject to market risk, और बाकी जानकारियाँ check करने के बाद ही "पति" select करें।
Monday, July 07, 2008
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4 comments:
सही दिये हो गुरु... वैसे आपकी बात रत्ती-रत्ती, रुपये में बत्तीस आने सत्य है, आखिर हमें कैसे न पता हो, हम भी डेवेलेपर जो ठहरे!
sahi faramaya ,jhel chuke hain :-)
Hmm...Lol!!
Maza aa gaya... :)
nice work....add more
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