सुनने में आ रहा है कि आज बैंगलुरु में कुछ बम धमाके हुये।
कुछ प्रसिद्ध सॉफ़्टवेअर कंपनीज़ को भी निशाना बनाया गया। मुझे तो ऐसा लगता है कि यह और कुछ नहीं "जीत" की खुशी में कुछ आतिशबाजियाँ की गई हैं। आखिर हो भी क्यों ना, लोकतंत्र जब जब हारता है, "उन" लोगों की जीत ही तो होती है।
अच्छा है, कुछ समय बाद जब देश में सिर्फ़ जब संसद और उसे चलाने वाले ही बचेंगे तो ही शायद यह सब बचेगा।
अरे भई, जब सब पढे लिखे, साधारण लोग अपने और अपने परिवार की सलामती के लिये किसी दूसरे मुल्क में विस्थापित हो जायेंगे तो वही लोग बचेंगे ना जिन्हें यही सब करने में अपना हित दिखता हो।
आम आदमी आखिर बेचारा जाये कहाँ??
Friday, July 25, 2008
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