एक शूटर (खिलाड़ी), ऑलम्पिक खेल में स्वर्ण पदक जीतता है, हमारी सरकार और अन्य संस्थाएं उसे मात्र ३ करोड़ रुपए बतौर इनाम देती है।
दूसरा शूटर (सैनिक), आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद होता है, हमारी सरकार उसके परिवार को पुरे ५ लाख का मुआवज़ा देती है।
है ना? मेरा देश महान!!
Monday, December 15, 2008
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2 comments:
इसे मेरा जवाब न माना जाय. जरूरी नहीं कि मैं इससे सहमत हूँ ही.
आपने जो पोस्ट किया है वह एस.एम.एस. के माध्यम से भेजा-पाया जा रहा है....एक बन्दे ने खिज कर जवाब लिख मारा जो मुझे भी मिला वह कुछ इस प्रकार था:
बिन्द्रा ने लक्ष्य भेदा था और ये लक्ष्य बन कर भिद गए. अब बोलो किसको कितना मिलना चाहिए था.
संजय जी, उस बन्दे को शायद यह पता नहीं होगा कि बिन्द्रा का लक्ष्य ए.के.४७ से बेहिसाब और बेतरतीब गोलियाँ नहीं चलाता।
मैं किसी भी प्रकार से बिन्द्रा की प्रतिभा को कम नहीं आँक रहा हूँ, मैं तो बस हमारी सरकार का जनता के प्रति जो असमान रवैया है उसपर प्रश्न उठा रहा हूँ।
और हाँ, उस बन्दे को यह भी बता दीजिये कि हमारे सिपाही अगर लक्ष्य बन कर नहीं भिदे होते तो वह गोली हम-आप तक भी पहुँच सकती थी।
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