Wednesday, June 06, 2007

...ऐ काश....

 - दिल से निकली एक ख्वाहिश -
..ऐ काश...
के कुछ ऐसा होता...
 
इन नये "किसानों" जैसा...
मेरे देश का हर किसान होता...
 
भर पेट खाना मिलता उसको...
एक भी बरतन घर का खाली न होता...
 
हर "दर" पे उसको जाने को मिलता...
"तिरुपति" का तो बिना लाईन दर्शन होता... 
 
गरीबी का उसकी मज़ाक ना उड़ता...
उँचे लोगों में कुछ उसका भी नाम होता..
 
ज़मीन अपनी खुद ही सींचता...
कर्ज़ तले दब कर इतना बेबस ना होता...
 
यूँ "फ़ाँसी" खुद को ना लगाता...
लम्बी ज़िन्दगी पर उसका भी हक होता...
 
इन नये "किसानों" जैसा...
मेरे देश का हर किसान होता...
 
उनका भी नाम अगरचे...
अनिल, आमिर या अमिताभ होता...

- विजय वडनेरे (६ जुन २००७)

1 comment:

Reetesh Gupta said...

अच्छा लिखा है ...बधाई