२९ - ३० जुलाई की दरमियानी रात को अचानक १२:३० - १:०० बजे के करीब मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। ऐसा लगा कि चक्कर से आए। ऐसा सिर्फ़ कुछ पलों के लिये ही हुआ। फ़िर वापस सब कुछ सामान्य सा हो गया। मैने भी फ़िर कुछ ध्यान नहीं दिया।
सुबह तक भूल भी चुका था, अखबार में भी कुछ नहीं। ऑफ़ीस पहुँचा, वहाँ भी सब सामान्य। लँच करते समय एक दोस्त ने बताया, रात को भूकंप आया था। तब कहीं जा कर लगा कि हो ना हो "वह" अजीब सी जो हरकत थी - हो ना हो भूकप की ही होगी।
सोच कर ही सिहरन-सी आ गई, मेरा फ़्लैट चौथे माले पर है, अगर ज्यादा शक्तिशाली भूकंप आया होता तो?? बाप रे! अपन को तो पता भी नहीं चलता कि कहाँ से कहाँ पहुँच गए।
अब कहीं जा के ऑफ़ीस में लोग उसके बारे में बात कर रहे हैं, शायद ३-५ रिक्टर स्केल का था, कोई आधिकारिक पुष्टि तो अभी तक पढी नहीं, हो सकता होकि लोकल न्यूज़ चैनलों पर चल रही हो।
आपको कुछ खबर है क्या??
(आप लोगों की जानकारी के लिये - मैं फ़िलहाल पुणे में रहता हूँ)
Wednesday, July 30, 2008
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6 comments:
भगवन को धन्यवाद दीजिये.
और क्या.
हम सबकी शुभकामनाएं.
saty vachan bhagwan ko dhanywad dijiye
विजय भाई
हम तो समझे थे कि आप हैं सिंगापुर में
सरइप्राइज़ दिया जो आप पहुंच गए पूना-पूर में
धीरे धीरे इंदौर की तरफ बढ़ रहे हैं ।
भारत में अपने पैर धर रहे हैं ।
ज़रा धीरे से करिए अपनी गाड़ी पंप
देश में वैसे ही आ रहे हैं अलग अलग भूकंप
ये लिजिये-कब पहूँच गये सिंगापुर से पूणे?
ईश्वर को बहुत धन्यवाद कि सब ठीक रहा.
आप लोगों की ही दुआओं का असर है कि अभी भी
"लिख" पा रहे हैं।
वैसे, अब लोग-बाग हमारे लिखे पढते ही नहीं तो हम क्या करें....? सिंगापुर को छोड़े तो साल भर से ज्यादा हो गया...और हालिया वापस आये हैं "महारानी" के देश से।
लगता है - अब हमें हमारी कुँडली थोडी "अपडेट" करनी ही पडेगी। :)
चलिये जान बची, अब खुब लिखो अच्छे अच्छे लेख,ओर भगवान की भी दो चार तस्वीरे लगा लो,भाई डरो मत,जब वेसा वक्त आता हे तो हम कुछ भी नही कर पाते, मारने ओर बचाने वाला वोही हे,कई बार मोत समाने होती हे ओर हम बच जाते हे, धन्यवाद उस भगवान का आप को जिस ने बचाया,ओर आप क धन्यवाद जिन्होने हमे यह किस्सा बताया
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