Thursday, April 13, 2006

फ़ोरम के नाम चुनने की प्रक्रिया

जैसी कि आजकल हवा चल रही है, अपने सभी ब्लागर बंधु एक "नाम" के पीछे पडे हुये हैं.
 
नाम भी कोई ऐसा वैसा नही, हिन्दी के एक "फ़ोरम" का नाम.
 
एक भाई ने यह महान "रिस्पोन्सिबिलिटी" उठाते हुये सबको "छू" कर दिया है कि "नाम सुझाओ", और बाकी के भाई लोग लग पडे हैं "नाम सुझाने".
 
लोग बाग भी कम नही हैं. रख रख के दिये जा रहे हैं, दिये नही, फ़ैके जा रहे हैं.
 
लो, ये लो, ये भी लो, और ये भी लो.
 
कुछ भाई झटके मार मार के टिका रहे हैं. छोटे छोटे झुंड में. पहली बार ४ भेजते हैं, दूसरी बार ६, तीसरी बार ३ इत्यादि. एंड द प्रोसेस गोस ऑन..
 
कुछ एकसाथ ढेर पे ढेर दे रहे हैं.
 
कोई तो कह रहा है  कि मैं आज नहीं रविवार को दुँगा. जैसे कि अभी खाना तैयार नही है, पका रहा हूँ, पक जायेंगे तब लाउंगा.
 
दीगर बात यह है कि - सारा का सारा अंतर्जाल छान लिया गया है, सारे अंग्रेजी नामों का हिन्दीकरण हो चुका है. यहाँ तक कि रशियन, जर्मन और चायनीज नाम भी लिस्ट में हो सकते हैं.
 
अब किसी को यह बात नहीं पता कि इतने सारे नामों में से "एक नाम" कैसे चुना जायेगा.
 
मुझे कुछ विश्वस्त सूत्रों इस प्रक्रिया के बारे में कुछ कुछ ज्ञात हुआ है, और वही मैं यहाँ छाप रहा हूँ. आगे और नाम सुझाने वालों से निवेदन है कि निम्न प्रक्रिया को मद्देनजर रखते हुये ही नाम "सुझायें".
 
यह विधि नीचे दी गई प्रक्रियाओं के विशेष मिश्रण से बनाई जा रही है.
 
१. सारे नामों की चिट बना कर अपने सामने बिछा ली जायेगी और फ़िर "अक्कड बक्कड" कर के उनके उपर हाथ फ़िराया जायेगा, जहाँ "अक्कड बक्कड" खत्म होगा और हाथ जिस चिट के उपर होगा, वही नाम "सिलेक्ट" कर लिया जायेगा.
 
२. "अक्कड बक्कड"  की जगह पर आज की तारिख का कोई प्रचलित फ़िल्मी गाना भी चला सकते हैं. (म्युझिकल चेयर की भांति).
 
३. सारे नामों की चिट बना कर एक बडे से बर्तन में इकठ्ठी कर ली जायेगी, और फ़िर उसे खुब अच्छी तरह से मिला कर, किसी बच्चे के हाथों से उसमें से एक चिट निकलवाई जायेगी.
 
४. अगर नाम "शार्ट एंड स्वीट" निकले तो हो सकता है कि बच्चे की जगह कम कपडों में कोई फ़िल्म अभिनेत्री रही हो.
 
५. सारे नामों की चिट एक पंक्ति में रखी जायेगी और अपने चौराहे के "जोतिस" (ज्योतिषी) बाबा को बुला कर, उनके "रामलाल" (तोते का नाम है) से एक पर्ची छंटवाई जायेगी.
 
६. एक 'लकी' सिक्का ले कर, तब तक चित-पट किया जायेगा जब तक कि सारी चिटें "एलिमिनेट" होते होते सिर्फ़ एक चिट ना बच जाये.
 
७. सिक्के की जगह "सांप सीढी' खेलने वाला पाँसा भी लिया जा सकता है.
 
८. कुवैत से एक मीटर, ऊप्स सॉरी, एक किलो रेत मंगवाई जायेगी, और सारी चिटों को जमीन पर बिछा कर उनके उपर वो रेत फ़ैंकी जायेगी. जिस चिट के उपर रेत के सर्वाधिक कण होंगे, उसे "सिलेक्ट" कर लिया जायेगा.
 
९. सारी चिटों को तोला जायेगा, जिसका वजन सबसे ज्यादा होगा उसी को "सिलेक्ट" किया जायेगा. आखिर नाम भी तो वजनदार होगा ना.
 
१०. अंतिम उपाय, एक नया ब्लाग बना कर उस पर सारे के सारे नाम लिख दिये जायेंगे, फ़िर ब्लाग पर आने वालों से उन नामों पर वोट करने की प्रार्थना की जायेगी, वोटिंग के लिये ब्लाग पर ही सुविधा होगी. जो बंधु ब्लाग पर नही आते, उनके लिये एक मोबाईल नम्बर भी दिया जायेगा. जिसपर वे एस.एम.एस कर अपना वोट दे सकते हैं. एक तय समय के बाद सारे वोटों को गिन कर "ब्लागायडोल नाम" चुना जायेगा.
 
 

3 comments:

Atul Arora said...

विजय गुरू , लगता है फुरसतिया प्रभाव तु्म्हे भी छू गया। झकास लिखे हो। बधाई।

Anonymous said...

मैं अभी तक नहीं समझ पा रहा हूँ यार कि ऐसी अति गोपनीय खबरें आपको कहाँ से मिल जाती हैं!! इस बारे में तो बहुत कम लोग जानते थे, पता लगाना पड़ेगा कौन खबरी है!! ;)

विजय वडनेरे said...

धन्यवाद अतुल भाई! आपको अच्छा लगा, ये पता चलते ही हमें भी अच्छा लगा.

अमित, अपनी भी "सेटिंग" है यार!! बहुत टाईम तक "फ़िल्डिंग" की तब कहीं जा के "अन्दर की बात" पता चली है.