मैं जब अपनी नौकरी के चलते सिंगापुर पहुँचा था तो पहले दो हफ़्ते तक तो कंपनी के गेस्ट हाउस में रुका था.
शाम को ऑफ़िस से आने के बाद और खाना खाने के वक्त तक रात हो जाती थी और फ़िर कुछ और काम भी नही रह जाता था, तो बस, टी.वी. के सामने बैठ जाया करते थे.
दूसरे हफ़्ते से ही एक नया चयनीज टी.वी. श्रंखला शुरु हुई, नाम था - "ता चान्गजिन्ग".
वो तो बाद में पता चला कि हम गलत सुनते थे. नई जगह, नई भाषा, अब हमें तो पहले यही सुनाई देता था यार. और तो और बाद में पता चला कि वो "चायनीज" भी नही है, कोरियन है.
बकौल जय (अमिताभ बच्चन इन शोले - "मुझे तो सब पुलिसवालों की सुरतें एक जैसी नजर आती है") - "मुझे तो सब ना समझ में आने वाली भाषायें चायनीज सुनाई देती है"
हाँ, तो, जब श्रंखला चायनीज थी (याने समझते थे) तो इस उम्मीद से बैठे देखते रहते थे कि अब तो "ही - हा - ईय्या" याने कि चायनीज ढिशुम ढिशुम शुरु होगा. और मुझे शुरु से वैसी मार पीट देखना पसन्द है. उसपर चायनीज मारपीट जिसमें लोगबाग उड उड कर मारते हैं, वाह! क्या बात है.
हम लोग तो दोस्तों के बीच इन चायनीज श्रंखलाओं को - चीनी अलिफ़ लैला, या चीनी बिक्रम बेताल, या फ़िर चीनी चन्द्रकांता कह कर मजे ले ले कर देखते हैं. या फ़िर जो आजकल की तथाकथित फ़ैमिली श्रंखलाएं होती हैं उन्हे, "लोकल कहानी घर घर की" जैसे नाम दे कर झेल लिया करते हैं. "भाषा" बीच में से हटा दी जाय तो अपने भारतीय और विदेशी टी.वी. कार्यक्रम सब एक बराबर हो जाते हैं.
तो जिस श्रंखला की बात हम यहाँ कर रहे हैं उसका असली नाम है: Daejanggeum (Dae Chang jing), और उसका अंग्रेजी जालस्थल है यहाँ और यदि किसी को कोरियन आती हो तो यहाँ देखिये.
Dae Jang geum का मतलब है - Great Jang geum, यहाँ Jang geum एक पात्र का नाम है, और जैसा कि मुझे पता चला है, यह एक ऐतिहासिक और वास्तविक पात्र पर आधारित है.
ये एक कोरियन ऐतिहासिक गाथा है. एक ऐसे पात्र की कथा जो स्त्री होते हुये भी एक साम्राज्य, जोसियॉन राजवंश, के सम्राट की मुख्य और व्यक्तिगत चिकित्सक बनती है. वह भी तब जबकि स्त्रियों के लिये उस समय रसोई से बेहतर और कोई जगह नहीं थी खुद को व्यस्त रखने के लिये और खुद को साबित करने के लिये. बचपन में ही अनाथ होने के बावजूद महल के रसोईघर में सहायक रसोईया बनने से लेकर सम्राट की व्यक्तिगत चिकित्सक बनने तक की राह आसान ना थी, यह कहना जरूरी नहीं है.
इसमें कथा में, राजवंश के लिये जो रसोई बनती है, वहाँ क्या क्या होता है उसका वर्णन है, जिसमें पाककला प्रमुख रुप से उकेरी गई है. तरह तरह के भोज्य पदार्थ, उनके चिकित्सकीय महत्व को कई बार उल्लेखित किया गया है. अलग अलग स्तर के रसोईये होते है, उनके सहायक होते है, विशेषज्ञ होते है. फ़िर जैसा कि होता है, "राजनीति" हर कहीं व्याप्त है. हर कोई एक दूसरे की टांग खींचने के लिये तत्पर. उच्च पद के लिये दौड. जायज नाजायज तरीकों का इस्तेमाल. अपने पद का उचित-अनुचित उपयोग-दुरुपयोग, प्रेम त्रिकोण...!! याने कि भरपेट मसाला!! मगर कहीं भी अति नहीं लगता. सारा तारतम्य एकदम फ़िट है. कथा प्रवाह कहीं भी धीमा नहीं पडता, और मन लगा रहता है.
बकौल वीरू (धर्मेन्द्र)- इस कहानी में इमोशन है, ड्रामा है और एक्शन (थोडा थोडा) भी है. और हाँ, हास्य ना हो तो क्या मजा, वह भी है.
अब आप कहेंगे कि बेटा विजय, तुम्हें तो ना चायनीज आती है और ना ही कोरियन फ़िर क्या बस फ़ोटू देखते हो? अरे यार, अंग्रेजी सबटाईटल भी तो आते हैं. अब वो तो हम हैं जो, देखने और पढने का काम एक साथ, और उसी रफ़्तार से कर लेते हैं. एक आँख देखती है और दूसरी से डायलाग्स पढते चलते हैं.
अब तक की कहानी में मुख्य पात्र (चांगजिंग) की परामर्शदाता (प्रशिक्षक) काफ़ी जद्दोजहद के बाद मुख्य रसोईघर की मुख्य रसोईया (Top Lady) बनी है. याने कि अभी तो दिल्ली काफ़ी दूर है.
यह पहले कोरियन भाषा में बना है, फ़िर कई भाषाओं में डब हो कर आजकल चायनीज भाषा में सिंगापुर में प्रसारित हो रहा है.
शुरुआत में तो बस समय व्यतीत करने की गरज से देखते थे, पर अब लगता है कि इसकी आदत पड़ गई है. इसकी बदौलत फ़टाफ़ट रात का खाना खा कर ठीक १० बजे टी.वी. के सामने जम कर बैठ जाते है और १ घंटे तक वहीं जमे रहते हैं. यह सीरियल है भी काफ़ी लोकप्रिय. इसकी लोकप्रियता का अंदाज इस ब्लाग से लगाईये. इस पूरे सिरीयल की डीवीडी भी विक्रय हेतु उपल्ब्ध है.
निर्देशन और अभिनय की दृष्टि से भी काफ़ी दमदार प्रस्तुति है, और मुख्य पात्र "ली यँग ऐ (Lee Young Ae)" बहुत खुबसूरत है कम से कम मुझे तो लगती है.
अभी कल ही मैने इसका शीर्षक संगीत रिकार्ड कर लिया है जो मुझे काफ़ी पसंद है. हालांकि एक भी शब्द पल्ले नहीं पडता, मगर, कहते हैं ना, संगीत की कोई भाषा नहीं होती, यह बात सौ टक्के चरितार्थ होती है. काफ़ी कर्णप्रिय है इसका शीर्षक संगीत ( सुनिये यहाँ से).
हालाँकि अब तो अपने खुद के (किराये के) घर में आ चुके हैं और भला हो मकान मालिक का कि जो घर में एक अदद टी.वी. रख छोडा है, याने कि "चांगजिंग" देखना बदस्तुर जारी है.
7 comments:
इसका मतलब तुम कोरियन रजिया सुल्तान देख रहे हो। देखे रहो बेटा। अंग्रेजी सबटाइटिल से याद आया, पुराने समय मे टीवी पर रविवार को दिन मे क्षेत्रीय भाषा मे फिल्मे आया करती थी, अक्सर उड़िया,तमिल और मलयालम मे(शायद यंही सबसे ज्यादा बनती थी, या दूरदर्शन के पास स्टाक ज्यादा था), हमारी माताजी को एक उड़िया फिल्म भा गयी, फिर क्या था, हर रविवार को बाकायदा हमारी ड्यूटी लगती थी, फिल्म देखते देखते, सबटाइटिल पढते पढते पढते, हमे माताजी को डायलाग समझाने पड़ते थे,मतलब थ्री इन वन,ये काम हमे बहुत झंझटी लगता था।इस बारे मे फिर कभी लिखेंगे।
अरे हाँ, बहुत दिन हो गये सिंगापुर मे सन्तोसा आइलैन्ड गये कि नही, और मालिश वगैरहा पर भी कुछ लिखो यार।
विजय भईया दास्तान सुनाने की कला में माहिर होते जा रहे है।
और जीतू भईया आपके "फिर कभी" अब तक कम से कम बीस पचीस हो गये होंगे। अमाँ अब तो जुगाड़ू लिंक छोड़ कर ईन "फिर कभी" की भी सुध ले लो।
अतुल भाई,
हम तो फिर भी,बाद बाद कहकर लिख देते है, तुम तो दुकान पर ताला डालकर निकल लिए, ये भी ना सोचा कि राशन की दुकान पर ताला लगाने से गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले लोगों का गुजारा कैसे होगा।
अब फिर कभी बहुत जल्द आने वाला है, अगले हफ़्ते तक।यहाँ कम्पनी ने ओवरलोड करके मेरा ही तेल निकाला हुआ है।
अच्छा लिखा है विजय।
ऎसे कई फ़्रेच सिरियल क्यूबेक मे स्पेनिश समझ कर देख डाले, स्पेनिश जब मन से उतर गई, तब समझ आया फ़्रेच है. :)
समीर लाल
जीतू भैया: अब "रजिया सुल्तान" कहो या "रजनी", देख तो एक महिला की कहानी ही रहे हैं. और हमें तो पसंद आ भी आ रही है (कहानी भी और चिंकी भी).
और हाँ उस (सन्तोसा और मालिश के) बारे में भी लिखेंगे पर फ़िर कभी...;)
अतुल भैया: अरे बडे बुढे जब कान खींचते है ना, तो सब आहिर माहिर हो जाते हैं.
ई-छाया: धन्यवाद जी.
समीर जी: अपने लिये तो ना समझ में आने वाली सब भाषा एक बराबर है जी.
विजय भाई,
बढ़िया लिखा है। आप्के आख्यान को पढ़ कर याद आ गयी एक बार की जब एक सज्जन ने बताया कि उन्होंने एक कैमरा खरीदा है किन्तु उसका मैनुअल जर्मन में है। मैंने देखा तो पता चला कि उनका कैमरा जापानी था और मैनुअल भी जापानी में था। वैसे तो मुझे जापानी और चीनी का फ़र्क नही मालुम है लेकिन अगर कैमरा जापानी है तो यह स्वाभाविक लगता है।
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