Monday, April 06, 2009

आज के रियालिटी शो

स्टेज सजा हुआ है।
लाईट्स - धुँआ - ढेर सारे दर्शकों का शोर।
स्टेज के ठीक सामने करीब ७-८ निर्णायकगण बैठे हैं।
स्टेज संभाले हुए एंकर्स की जोड़ी।
और स्टेज पर एक कतार में खड़े हुए कई प्रतियोगी।

काफ़ी मेहनत(?) कर के ये प्रतियोगी यहाँ तक पहुँचे हैं। एक दूसरे के लिए काफ़ी उल्टा-सीधा बोल कर। एक दूसरे के खिलाफ़ खुब साज़िशें रच कर।

आज इनमें से कोई एक प्रतियोगी गेम से बाहर होने वाला है, यानि कि 'एलिमिनेट' होने वाला है। बाकी बचे हुए गेम जीत जाएंगे। रियालिटी टी।वी. की भाषा में 'ग्रेण्ड फ़िनालॆ' चल रहा है।

सारे जीते हुए प्रतियोगियों को बार बार टी।वी. पर आने का, खुब सारे टी.वी. विज्ञापन में काम करने का और ढेर सारा पैसा कमाने का सुनहरा मौका मिलेगा।

इन प्रतियोगियों से पुरे सत्र के दौरान काफ़ी सारे 'टास्क्स' करवाए गये हैं, जिनमें बहुत तरह के उट-पटांग करतब भी शामिल थे।

घर बैठे दर्शकों को भी खाली नहीं छोड़ा गया है, उनसे भारी मात्रा में 'एस।एम.एस' मंगवाए गये हैं, और इस सबसे आखिरी मुकाबले के दौरान फ़ैसला उन्हीं 'एस.एम.एस.' के आधार पर ही तो किया जाएगा। तो बस अब थोड़ी ही देर में, वह नाम लिया जायेगा जो आज इस प्रतियोगिता से बाहर होने वाला है।

एंकर्स सारे प्रतियोगियों से पुछ रहे है कि उन्होनें पुरे सत्र में क्या अच्छा किया और क्या बुरा किया। और इस 'शो' से बाहर जा कर उन्हें कैसा लगेगा?सभी का जवाब लगभग यही है कि - उन्होनें इसके लिये तैयारी तो बहुत की है, इस वक्त बाहर निकलेंगे तो बुरा तो लगेगा ही, मगर ये भी एक खेल है और इसे खेल की तरह ही लेंगे। और मानसिक रुप से पुरी तरह से तैयार हैं - चाहे फ़ैसला कुछ भी हो।

आखिरकार वो घड़ी आ गई जब वो नाम लिया गया। जो बाहर हो चुका था।

सुनते ही बचे हुये प्रतियोगियों में एकदम से हर्षोल्लास छा गया, मगर जो बेचारा बाहर हुआ है उसकी तो रुलाई फ़ुट पड़ी है।बेचारा फ़ूट-फ़ूट कर रोए जा रहा है मानो कि जिन्दगी ही खतम हो गई हो।तब तक उसके बाकी के साथी भी उसके पास आ चुके हैं। उसे गले लगा कर दिलासा दे रहे हैं। निर्णायकों में से भी कुछ-एक की आँखों में पानी साफ़ दिख रहा है।

कैमेरा बारी बारी एंकर्स, प्रतियोगियों, उनके संबंधियों, निर्णायकों, और दर्शकों के उपर से ज़ूम-इन, ज़ूम-आउट हो रहा है।

कट!!

कैसा लगा आपको ये एकदम ओरिजिनल दृश्य??जोकि आजकल के हर दूसरे-तीसरे टी।वी। सीरियल में आपको दिख रहा है। पहचाना कि नहीं?

चाहे कोई नाच प्रतियोगिता हो, या कोई गाने की, चुटकुले सुनाने की, एक साथ रहने की ही क्यों ना हो।हर जगह, हर सीरियल में यही लगता है कि 'स्क्रिप्ट' तो वही है, बस, स्टेज और कलाकार बदले हुये हैं। यहाँ तक कि डायलाग्स तक वही सुने सुनाए लगते हैं।

कट!!

अब जरा सोचिए, यही 'फ़ंडा' हर जगह इस्तेमाल होने लगे तो? लाईफ़ में कितना मजा आ जायेगा, नहीं क्या? हर कोई एस।एम.एस. करता दिखेगा।

१. भारतीय क्रिकेट टीम के सिलेक्शन में-
२. नेता चुनने में-
३. स्कूल के एडमिशन में-
४. शादी के लिये 'योग्य' वर/वधु ढुँढने में-
५. इन्हीं प्रतियोगिताओं के लिये 'निर्णायक' चुनने के लिये-
६. घरेलु नौकरों के लिये, या फ़िर उन नौकरों के मालिक/मालकिन चुनने के लिये-

अरे! अब क्या सब मैं ही सोचुंगा?
कुछ आप भी तो सोचिये....!
सोच कर हमें भी बताएं तो हमें और अच्छा लगेगा।

2 comments:

शेफाली पाण्डे said...

नेता चुनने के विषय में मेरी एक पोस्ट है ....इसे देखिए ...

विजय वडनेरे said...

शेफ़ाली जी,

मैं जरुर देखना चाहुँगा वह पोस्ट, बस्स एक बार उसकी कड़ी (लिंक) मिल जाये। :)